Tuesday, February 8, 2011

काल करै सो आज कर, आज करै सो अब


काल करै सो आज कर, आज  करै सो अब |
पल में परलय होयगी, बुहिर करेगा कब ||

संत कबीर जी कहते है कि हे मानव ! जो कल करना है उस कार्य को आज करो और जो आज करना है उसे अभी (तुरंत ) कर लो | पल में मृत्यु रुपी प्रलय आ सकती है, कब मृत्यु के मुख में चले जाओगे कोई निशचित नहीं है, फिर कब करोगे अर्थात विचार करते करते समय बीत जायेगा और तुम सोचते ही रह जाओगे | अत: प्रभु नाम सुमिरन के लिए आज और कल का समय निर्धारित न करके अभी से आरम्भ कर दो |
पर आज के मनुष्य की क्या सोच है ?
आज करै सो कल कर, कल करै सो परसों |
इतनी भी क्या जल्दी है, जब उम्र पड़ी है बरसों |
अभी बहुत जीवन पड़ा है प्रभु के सुमिरन को, कर लेंगे इतनी भी क्या जल्दी है |
खाओ पीओ करो आनंद किसने देखा परमानन्द |
अभी तो मोज मस्ती करने के दिन है | जो मन करता है खाओ, ऐश करो, जीवन का आनंद लो | पर जिस को इन्सान ऐश कहता है, वो ऐश नहीं है | ऐश इंग्लिश का शब्द है जिस का अर्थ होता है राख | मनुष्य सोचता है कि बचपन खेलने के लिए मिला है,जवानी में और बहुत से काम है, वृद्ध अवस्था में जाकर प्रभु की बंदगी की जाएगी | पर इस बात की क्या गारंटी है कि आज बचपन है, कल को जवानी आएगी और आज अगर जवानी है तो कल को बुढ़ापा आएगा | बुढ़ापे जाकर इन्सान चाहते हुआ भी कुछ नहीं कर सकता | उस का शारीर भी काम नहीं नहीं करता | फिर रोता है पछताता है | फिर रोने का क्या फायदा | जो प्रभु भक्ति का जवानी का समय था, वो तो उस ने विषय विकारों में गवा   दिया | इस लिए समय रहते एक पूर्ण संत की खोज कर लो,जो प्रभु का उसी समय दर्शन करवा दे,उस के बाद ही भक्ति की शुरूआत होगी |
अगर कहीं भी आप को ऐसा संत नहीं  मिलता,एक बार 'दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान ' में जरूर पधारे | यहाँ आप सादर आमंत्रित है | आपको  यहाँ अवश्य ही शुद्ध कुंदन सी चमक मिलेगी | यह अहंकार नहीं,गर्व है! बहकावा नहीं,दावा है ! जो एक नहीं, श्री आशुतोष महाराज जी के हर शिष्य के मुख पर सजा है -'हमने ईश्वरीय ज्योति अर्थात प्रकाश और अनंत अलोकिक नजारे देखे है | अपने अंतर्जगत में ! वो भी दीक्षा के समय | हम ने उस प्रभु का दर्शन किया है,और आप भी कर सकते 
हैं |

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