रक्षा - बन्धन पर्व जो आया, भक्तों के मन ऐसा भाया
सच्चा भ्राता कौन जगत में, बतलाने का अवसर पाया
अनोखा सा, अलबेला सा यह रिश्ता बड़ा अनमोल है
सतगुरु जी के उपकारों का जग में नहीं कोई तोल है
क्यों न बांधें परम रक्षक को, रक्षा की एक डोर से
क्यों न पार लगा लें नईया, भवसागर से छोर से
रेशम के चाँद धागे लेकर प्रेम बांधने आये
श्वांस - माल में शुभ मंगल भाव पिरोकर लाए
आज तुम्हारे कर - कमलों पर बांधा है यह धागा
उपहार - स्वरूप बस चाहे यही - रक्षा करना दाता
हर पाप से हमें बचाना, कृपा कर चरणों में लगाना!
इस स्नेह - सूत्र को भूल न जाना!
भवसागर से हमें बचाना!
भ्राता होने का वचन निभाना!
सच्चा भ्राता कौन जगत में, बतलाने का अवसर पाया
अनोखा सा, अलबेला सा यह रिश्ता बड़ा अनमोल है
सतगुरु जी के उपकारों का जग में नहीं कोई तोल है
क्यों न बांधें परम रक्षक को, रक्षा की एक डोर से
क्यों न पार लगा लें नईया, भवसागर से छोर से
रेशम के चाँद धागे लेकर प्रेम बांधने आये
श्वांस - माल में शुभ मंगल भाव पिरोकर लाए
आज तुम्हारे कर - कमलों पर बांधा है यह धागा
उपहार - स्वरूप बस चाहे यही - रक्षा करना दाता
हर पाप से हमें बचाना, कृपा कर चरणों में लगाना!
इस स्नेह - सूत्र को भूल न जाना!
भवसागर से हमें बचाना!
भ्राता होने का वचन निभाना!
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