Sunday, September 11, 2011

एक सुझाव

जब मानव की नस नस में दानवता का प्रसार होता है
जब रक्षक ही भक्षक बन, बाप ही कुबाप बन
रिश्तों की पवित्रता को मिट्टी में मिला डाले
नौजवानों का आहार जब चरस और शराब हो
माया का नशा इंसा को बेहिसाब हो
मृत्यु जब अट्टहास करे, जीवन जब कराहने लगे
बेबसी की बेड़ियों में मानवता चिल्लाने लगे
घर-घर में जब कंस हो, कौरवों का वंश हो
बुद्धि पर कपाट हो
लहू की लालिमा से लथपथ ललाट हो
अर्थ जब अनर्थ लगे, अमृत जब व्यर्थ लगे
अमन बन जाए कफन, शान्ति हो जाए दफन

तब?
ब्रह्मज्ञान ही सर्वस्व बचा सकता है
दुनिया को स्वर्ग बना सकता है

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