Sunday, September 11, 2011

कौन है जो दिव्य ज्योति जलाएगा ...

कहाँ है जन्नत? कहाँ है उसकी भोर?
है कोई जो ले जाए, उस एक की और?
ग़फलत की निद्रा से जगायेगा
कौन है जो दिव्य ज्योति जलाएगा?

कौन देगा सूर्य से अधिक प्रकाश?
जिसे मापने को कम पड़ेंगे तारे गगन आकाश
तमस की काली रात में, उजाले की किरण दिखाएगा
कौन है जो दिव्य ज्योति जलाएगा?

कौन है जो मन के वीराने में ज्ञान पुष्प करेगा प्रफुलित
काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहम; पञ्च चोर जायेंगे मिट
आत्मा से भोगो की मलिनता उतार, पवित्र बनाएगा
कौन है जो दिव्य ज्योति जलाएगा?

कौन है जो बहती नदी को पहुँचाएगा उसके स्रोत?
हिलोरे खाती, भाटा लाती, होती ओतप्रोत
नदी की थकान दूर कर सागर मिलन कराएगा
कौन है जो दिव्य ज्योति जलाएगा?

कौन है जो भक्ति का पथ पढ़, आत्मा की पुस्तक
अध्यात्म का रहस्य, दीक्षा का सत्य लाएगा मुझ तक
इंसानी पशु से मानव, मानव से ज्ञानी बनाएगा
कौन है जो दिव्य ज्योति जलाएगा?

कौन है जो तोड़ेगा कर्मों की बेड़ी?
संभालेगा डगरों पे तिरछी टेढ़ी – मेढ़ी
उँगली पकड़, विकारों से बचा, सत्यपथ पर चलेगा
कौन है जो दिव्य ज्योति जलाएगा?

कौन है जो कराएगा साक्षात्त दर्शन चरण चक्षु मुंड?
तड़पते प्यासे चातक को देगा स्वाति बूँद
विवेक दृष्टि दे, अंतर्घर की क्षुधा बुझाएगा
कौन है जो दिव्य ज्योति जलाएगा?

शास्त्र-ग्रन्थ, बाईबल, गीता, कुरान भी करती है ऐलान
घट में दिखती दिव्य ज्योति मिल जाए अगर कोई संत महान
अमृत कुंड नाम भक्ति भण्डार का है कोष
दिव्य ज्योति जलाते है कलयुग में भी आशुतोष

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