सतगुरु क्षमा कर दो उनको,
जिन्हें कौन हो तुम यह ज्ञान नहीं |
जो विवेक से शून्य, दें कोरे तर्क,
बिन गुरु पाना चाहते ईश्वर |
जो जन्म अनेकों बदल चुके,
विश्वास नहीं परिवर्तन पर |
सतगुरु क्षमा कर दो उनको,
जिन्हें दिव्य प्रकाश का भान नहीं |
जिन्हें कौन हो तुम यह ज्ञान नहीं ||
जो नहीं जानते गुरु उन्हें,
भवसागर पार करा सकता |
जो नहीं मानते कोई उन्हें,
घट में ईश्वर दिखला सकता |
सतगुरु क्षमा कर दो उनको,
जिन्हें निज संस्कृति का मान नहीं |
जिन्हें कौन हो तुम यह ज्ञान नहीं |
अहंकार वश होकर जो,
कठिनाई अपनी बड़ा लेते |
वेदों व् धर्म - ग्रंथों तक को,
जो मनघड़त ठहरा देते |
सतगुरु क्षमा कर दो उनको,
स्वीकार जिन्हें ब्रह्मज्ञान नहीं |
जिन्हें कौन हो तुम यह ज्ञान नहीं ||
जिन्हें कौन हो तुम यह ज्ञान नहीं |
जो विवेक से शून्य, दें कोरे तर्क,
बिन गुरु पाना चाहते ईश्वर |
जो जन्म अनेकों बदल चुके,
विश्वास नहीं परिवर्तन पर |
सतगुरु क्षमा कर दो उनको,
जिन्हें दिव्य प्रकाश का भान नहीं |
जिन्हें कौन हो तुम यह ज्ञान नहीं ||
जो नहीं जानते गुरु उन्हें,
भवसागर पार करा सकता |
जो नहीं मानते कोई उन्हें,
घट में ईश्वर दिखला सकता |
सतगुरु क्षमा कर दो उनको,
जिन्हें निज संस्कृति का मान नहीं |
जिन्हें कौन हो तुम यह ज्ञान नहीं |
अहंकार वश होकर जो,
कठिनाई अपनी बड़ा लेते |
वेदों व् धर्म - ग्रंथों तक को,
जो मनघड़त ठहरा देते |
सतगुरु क्षमा कर दो उनको,
स्वीकार जिन्हें ब्रह्मज्ञान नहीं |
जिन्हें कौन हो तुम यह ज्ञान नहीं ||
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