आज जब हम लोगों से आत्मा परमात्मा के बारे में बात करते हैं,तो बहुत से लोगों का यही प्रशन होता है कि हमारे पास परमात्मा के लिए समय नहीं है | व्यस्त जीवन है,एक मिनट की भी फुर्सत नहीं है | यही प्रशन एक वार एक व्यक्ति ने गुरुदेव सर्व श्री आशुतोष महाराज जी के समक्ष्य रखा |
प्रशन ) मैं एक व्यापारी हूँ | मेरा लाखों का बिजनेस है | मैंने दो-तीन बार आपके सत्संग- प्रवचन सुने हैं |मुझे बहुत अच्छे लगे | सुनकर मन को शांति भी मिली | पर फिर भी मैं ज्ञान लेने मैं असमर्थ हूँ | क्यों कि मेरे पास एक मिनट की भी फुर्सत नहीं है | मैं सुमिरन - भजन के लिए समय नहीं निकाल सकता | अब आप ही कोई उपाय बताएँ |
उत्तर ) समय नहीं है! यह तो केवल एक बहाना है | वास्तव में आपने परमात्मा व उसके ज्ञान के महत्व को अभी तक समझा ही नहीं | इस लिए आप संसार को ही सब कुछ मान बैठे हैं | सांसारिक कार्यें व विषयों में अपना एक - एक क्षण एवं एक - एक श्वास गवाए चले जा रहे हैं | जब कि संत महापुरषों के अनुसार यह जीवन तो मिला ही ईश्वर - भक्ति एंव उसकी प्राप्ति के लिए है | मनुष्य जीवन का लक्ष्य केवल नौकरी , बिजनेस या धन - संग्रह करना नहीं | इसका परम लक्ष्य ईश्वर को पाना है | उसका बनना एंव उसे अपना बनाना है - 'बड़े भाग मनुष्य तन पावा ......साधन धाम मोच्छ कर द्वारा' | यदि समय रहते हम इस तथ्य को नहीं समझते,तो आगे की पंक्तियों में गोस्वामी तुलसीदास जी हमें एक चेतावनी भी देते हैं -
सो परत्र दुख पावइ सिर धुनि -धुनि पछताइ |
कालहि कर्महि ईस्वरहि मिथ्या दोस लगाइ ||
फिर हमें सिर धुन - धुन कर पछताना पड़ेगा | चाहे हम 'कालहि' - समय नहीं था; 'कर्महि' - मेरे कर्मों में ही नहीं था; 'ईस्वरहि ' शायद ईश्वर को ही मंजूर नहीं था आदि कितने ही बहाने बनाएँ, कोई सुनवाई नहीं होगी | इस लिए जीवन के इस परम लक्ष्य के विषय में विचार करें | ब्रह्मज्ञान की महत्ता को समझें | एक बार महत्व समझ आ गया,तो समय तो खुद-व-खुद निकल आएगा |
साथ ही, आपकी जानकारी के लिए यह भी बता दें कि ज्ञान प्राप्ति के उपरान्त सुमिरन - भजन के लिए कोई अलग से समय निकालने की आवश्कयता नहीं है | यह तो वह ज्ञान है जिसके द्वारा आप चलते फिरते, खाते - पीते, उठते - बैठते हुए भी प्रभु सुमिरन कर सकते हैं | याद कीजिए प्रभु श्री कृष्ण का उदघोष -'माम स्मृत तात.....अर्थात (हे अर्जुन) तू युद्ध भी कर और सुमिरन भी कर | आपका बिजनेस युद्ध से अधिक एकाग्रता नहीं माँगता | इसलिए आप आगे बढें और अपने परम लक्ष्य को प्राप्त करें |
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