Sunday, January 23, 2011

मुसाफिर जागते रहना नगर में चोर आते हैं




स्वामी ब्रह्मानंद जी कहते हैं कि,हे इन्सान ! तू  इस शरीर रुपी नगर में एक सिमित समय के लिए आया है | किन्तु इस नगर में तू अकेला नहीं है,वरन काम, क्रोध,लोभ,मोह और अहंकार आदि चोर भी इसमें तेरे संग निवास करते हैं | यदि तू इनसे सावधान नहीं रहेगा तो फिर पश्चाताप के अतिरिक्त कुछ भी हाथ आने वाला नहीं है | इस संसार में संत- महापुरष एक पहरेदार का काम करते हैं | जैसे यदि गाँव में पहरेदार को जरा भी संशय  हो जाए कि इस गाँव में चोरी होने की आशंका है तो वह उच्च स्वर में आवाज लगाता है | किन्तु उसकी आवाज सुनकर सभी लोग नहीं जागते | जो जाग जाते हैं उनका घर बच जाता है | जो नहीं जागते और यह सोचकर ही सोए रहते हैं कि शोर करना तो इनका काम ही है ,वे सूर्योदय होने तक लुट चुके होते हैं | इसी तरह महापुरष भी इस जीव को जगाते हैं कि हे जीव,तेरे शरीर रुपी घर के अन्दर दिन रात पांच - पांच चोर चोरी करने का कोशिश कर रहे हैं,तू सावधान हो जा | यदि किसी के घर में चोर चोरी कर ले उसकी दोलत लुट जाए तो धन दोबारा कमाया जा सकता है और यदि नहीं अर्जित कर पाए तो केवल एक जीवन ही निर्धनता में व्यतीत करना पड़ेगा | किन्तु यदि इस जीव को काम ,क्रोध,लोभ आदि विकारों ने लुट लिया तो मात्र एक जीवन नहीं बल्कि अनेकों जन्मों तक कष्ट भोगने पड़ेगे | इस लिए महापुरष बार -बार इन्सान को जगाते हैं कि
नींद निशानी  मौत की उठ कबीरा जग |
अवर रसायन छाड कै राम रसायन लाग || 
                                                               (संत कबीर जी )
हे जीव ! इस अज्ञानता की निद्रा से जाग,उस प्रभु रुपी ओषधि का प्रयोग कर ताकि इस जीवन को सार्थक कर सकें क्योकि मानव तन अति दुर्लभ है,किन्तु इसके साथ यह शंभुन्गर भी है ,न जाने कब समाप्त हो जाए | इसलिए  आज और अभी उस परमात्मा को प्राप्त करने का पर्यास कर,व्यर्थ सोचने में  समय नष्ट मत कर |  इस लिए हमें भी जरूरत पूर्ण संत की शरण में जाने की,जो उसी समय परमात्मा का दर्शन करवा दे ,उसी के बाद ही भक्ति की शुरुआत होगी | तभी हमारा जीवन सार्थक हो पाएगा |

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